अध्याय ८ – श्लोक ८
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TheGita – Chapter 8 – Shloka 8
Shloka 8
Arjuna, one who is constantly performing meditation upon God without letting his mind wander in any other direction, achieves supreme salvation (union with God)
हे पार्थ ! यह नियम है कि परमेश्वर के ध्यान के अभ्यास रूप योग से युक्त्त, दूसरी ओर न जाने वाले चित्त से निरन्तर चिन्तन करता हुआ मनुष्य परम प्रकाश रूप दिव्य पुरुष को अर्थात् परमेश्वर को ही प्राप्त होता है ।।
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